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  1. Goods for were destroyed by fire.
  2. Outstanding salary ₹ 5000 .
  3. ₹ 1000 due from sunny are not recoverable due insolvency.
  4. Paid income tax by cheque ₹ 20000 .
  5. Charge depreciation on building costing ₹ on furniture costing ₹ .
  6. Prepaid Rent .
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28 ब्याख्या गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि धनुष-भंग के समय जब सीताजी की माता श्रीराम को छोटा समझकर, धनुष तोड़े में असमर्थ मानकर अपनी सखी से शंका प्रकट करती हैं, तब उनकी सखी विभिन्न उदाहरणों के द्वारा उनकी समझाती हुई कहती है कि, "जिस मन्त्र के वश में सभी देवता, व्रहा, विष्णु, महेश आदि भी रहने को विवश होते हैं, वह मन्त्र भी अत्यधिक छोटा ही प्रयोग। होता है।" अत्यधिक विशाल और मदमत्त गजराज को भी महावत छोटे से अंकुश के द्वारा अपने वश में कर लेता है। काव्यगत सौन्दर्य- (1) भाषा-अवधी। (2) शैली-प्रबन्ध और उद्धरण। (iv) (3) छन्द-दोहा। (4) अलंकार-अनुप्रास। (5) शब्द-शक्ति-अभिधा और लक्षणा। [4] (ii) 'सुर सर्व' में अनुप्रास अलंकार है। (iii) प्रस्तुत पद्य में 'बिधि', 'हरि' और 'हर' को क्रमशः कहा गया है-ब्रह्मा, विष्णु और महेश। (iv) सीताजी की माता को उनकी सखी यह समझाती है कि जिस मंत्र के वश में सभी देवता, ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदि भी रहने को विवश होते हैं, वह मंत्र भी अति छोटा ही होता है। [3] नृपन्ह केरि आसा निसि नासी । बचन नखत अवली न प्रकासी ।। मानी महिप कुमुद सकुचाने । कपटी भूप उलूक लुकाने ।। भए बिस़ोक कोक मुनि देवा । बरसहिं सुमन जनावहिं सेवा ।। गुर पद बंदि सहित अनुरागा । राम मुनिन्ह सन आयसु मागा ।। सहजहिं चले सकल जग स्वामी । मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।। चलत राम सब पुर नर नारी । पुलक पूरि तन भए सुखारी ।। बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे । जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।। तो सिवधनु मृनाल की नाईं। तोरहुँ रामु गनेस गोसाईं।। (i) प्रस्तुत पद्यांश की संसंदर्भ हिन्दी में व्याख्या कीजिए तथा काव्य-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए। (ii) कवि ने उल्लू को किसके तुल्य बताया है? (iii) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग हुआ है? (iv) कवि ने कुमुद को किसके समान बताया है? (i) प्रसंग - प्रस्तुत पद्य में सभा में उपस्थित कतिपय राजाओं की स्थिति, राम की विनम्रता तथा सम्पूर्ण नगरवासियों की मनोवृत्ति का वर्णन किया ाया है। याख्या - गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीरामचन्द्र जी के मंच पर चढ़ते ीी सभा में उपस्थित अन्य राजाओं की आशारूपी रात्रि नष्ट हो गयी और उनके चचरूपी तारों के समूह का चमकना बन्द हो गया, अर्थात् वे मौन हो गये। अभिमानी राजारूपी कुमुद संकुचित हो गये और कपटी राजारूपी उल्लू छिप ये। मनि और देवतारूपी चकवे शोकरहित अर्थात प्रसन्न हो गये। वे फलों की
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TopicAll topics
SubjectMental ability
ClassClass 12